उत्तराखंड

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी: पत्रकारों पर हमला, प्रेस की स्वतंत्रता को चुनौती

कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी: पत्रकारों पर हमला, प्रेस की स्वतंत्रता को चुनौती

उत्तराखंड। डॉ. आरपी नैनवाल मैमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मैच का मंच, जहां खेल की भावना और सौहार्द्र का प्रदर्शन होना चाहिए था, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शर्मनाक हरकत करते हुए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बोला। पत्रकारों और महिला पत्रकारों के साथ मारपीट, अभद्रता और धक्कामुक्की की इस घटना ने न केवल आयोजन को बाधित किया, बल्कि कांग्रेस पार्टी की असली सोच और मानसिकता को भी उजागर कर दिया। सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि यह निंदनीय घटना कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की मौजूदगी में घटी। यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष ने स्वयं संयम खोते हुए आपत्तिजनक व्यवहार किया, जो इस पूरी घटना को और भी गंभीर बनाता है।

इस घटना पर *उत्तर भारत लाइव के संपादक आशीष ध्यानी* ने *गहरा आक्रोश* व्यक्त किया। उन्होंने कहा, *”यह घटना केवल पत्रकारों पर हमला नहीं है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। जो पार्टी खुद को लोकतंत्र की संरक्षक कहती है, उसी के कार्यकर्ता आज सच्चाई की आवाज़ को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। महिला पत्रकारों के साथ की गई अभद्रता कांग्रेस की गिरती सोच और घिनौनी मानसिकता का प्रमाण है। यह कृत्य न केवल निंदनीय है, बल्कि शर्मनाक भी है।”*

 

उन्होंने आगे कहा, *”यह सिर्फ पत्रकारिता पर हमला नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति पर हमला है, जो सच्चाई जानने का अधिकार रखता है।”*

 

घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने व्यवधान उत्पन्न करते हुए पत्रकारों को धमकाना शुरू कर दिया। महिला पत्रकारों के साथ धक्कामुक्की और अभद्रता की गई। जब माहौल बिगड़ता चला गया, तो प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने स्थिति को नियंत्रित करने के बजाय स्वयं अपना आपा खो दिया

 

*एक वरिष्ठ महिला पत्रकार ने कहा, “हमने उम्मीद नहीं की थी कि एक सार्वजनिक मंच पर प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में इस तरह का व्यवहार होगा। यह प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है और इसे सहन नहीं किया जा सकता।”*

 

इस गंभीर घटना के विरोध में उत्तरांचल प्रेस क्लब ने 5 दिसंबर को आपात बैठक बुलाई है। प्रेस क्लब के *अध्यक्ष अजय राणा ने कहा, “यह घटना बेहद गंभीर है। प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी और उनकी भूमिका ने इसे और अधिक चिंताजनक बना दिया है।*

 

यह घटना लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए एक चेतावनी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का यह रवैया और प्रदेश अध्यक्ष का आपा खोना बताता है कि पार्टी आलोचना और सवालों से डरकर हिंसक प्रतिक्रिया पर उतर आई है। यह घटना केवल पत्रकारों का मामला नहीं है। यह उस तंत्र को कुचलने की कोशिश है, जो सच्चाई को जनता तक पहुंचाने का काम करता है। कांग्रेस के इस रवैये ने लोकतंत्र के भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।उत्तराखंड की जनता अब खामोश नहीं रहेगी। यह घटना एक चेतावनी है कि यदि सच्चाई की आवाज़ को दबाने की कोशिशें सफल हुईं, तो न केवल पत्रकारिता खतरे में होगी, बल्कि लोकतंत्र भी कमजोर हो जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button