
नया शिक्षा सत्र शुरू, व्यवस्था ढीली… लाखों छात्रों को अब तक नहीं मिली मुफ्त किताबें
सिस्टम की सुस्ती के चलते छात्र-छात्राएं बिना किताब स्कूल पहुंचेंगे। इस शिक्षा सत्र में 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें दी जानी है, जोकि मिली नहीं।
छुट्टियों के बाद आज से प्रदेश के सरकारी और अशासकीय विद्यालयों के द्वार फिर से खुल गए हैं और इसके साथ ही शिक्षा सत्र 2025-26 की औपचारिक शुरुआत भी हो गई है। नियमों के अनुसार, एक अप्रैल से पहले सभी छात्र-छात्राओं तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें पहुंच जानी चाहिए थीं, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी लाखों छात्रों के हाथ खाली हैं।
राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1 से 12वीं तक के छात्रों को मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं, और इसके लिए शिक्षा विभाग को पूरे वर्ष की योजना और तैयारी का समय मिलता है। बावजूद इसके, इस बार भी व्यवस्थागत लापरवाही सामने आई है। विभाग को शासन से पुस्तक वितरण की अनुमति मात्र 11 दिन पहले ही प्राप्त हुई, जिससे 10 लाख से अधिक छात्रों को अब तक किताबें नहीं मिल सकी हैं।
पिछले सप्ताह प्रिंटर को एनसीईआरटी से उपलब्ध सीडी दी गई। जबकि अन्य राज्यों में ब्लॉक स्तर तक पाठ्य पुस्तकें पहुंच चुकी है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डाॅ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि पाठ्य पुस्तकों के लिए शासन से सहमति मिल चुकी है। तीन अप्रैल से छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकें मिलने लगेंगी। जब तक पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंचेंगी विद्यालयों में बने बुक बैंक से छात्र-छात्राओं को इसे उपलब्ध कराया जाएगा।
कापियां मिलने में लगेगा अभी समय
सरकारी और अशासकीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के बाद मुफ्त कापियां दी जानी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुफ्त कापियों के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद पहली बार छात्र-छात्राओं को मुफ्त कापियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
किस जिले में कितने हैं सरकारी स्कूल
प्रदेश में पौड़ी जिले में सबसे अधिक 1994 सरकारी स्कूल हैं। अल्मोड़ा में 1713, बागेश्ववर में 768, चमोली में 1325, चंपावत में 682, देहरादून में 1296, हरिद्वार में 938, नैनीताल में 1349, पिथौरागढ़ में 1487, रुद्रप्रयाग में 765, टिहरी में 1901, ऊधमसिंह नगर में 1110
मुफ्त पाठ्य पुस्तकों के लिए 20 मार्च को शासन से सहमति मिली है। प्रिंटर के साथ इसके लिए एमओयू हो चुका है। जल्द छात्रों को पुस्तकें मिलने लगेंगी। -डा. मुकुल कुमार सती, निदेशक माध्यमिक शिक्षा।