
देहरादून, 5 सितंबर 2025 — उत्तराखंड के चंपावत जिले की महिला शिक्षक मंजूबाला को दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। इस खास मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देशभर से आए शिक्षकों को संबोधित करते हुए मंजूबाला सहित अन्य शिक्षक सम्मानित किए।
राष्ट्रपति ने शिक्षकों को किया सम्मानित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा,
“शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यही है कि उनके विद्यार्थी जीवन भर उन्हें याद रखें और समाज व देश के लिए उत्कृष्ट योगदान दें।”
उन्होंने ‘आचार्य देवो भव’ की प्राचीन परंपरा का हवाला देते हुए शिक्षकों के महत्व को रेखांकित किया और बच्चों में गरिमा व सुरक्षा की भावना जगाने पर जोर दिया। साथ ही, बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष बल दिया।
मंजूबाला का शिक्षण और सामाजिक योगदान
मंजूबाला चंपावत के च्यूरानी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं। वे 2011 में जिले का पहला अंग्रेजी माध्यम स्कूल स्थापित करने वाली पहली शिक्षक हैं। मंजूबाला हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ कुमाऊंनी भाषा भी सिखाती हैं और नियमित कक्षाओं के अलावा शाम को भी विशेष कक्षाएं चलाती हैं। इसके अतिरिक्त वे स्काउट एवं गाइड गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
पुरस्कार और सम्मान
मंजूबाला को पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं जैसे:
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शैलेश मटियानी पुरस्कार
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तीलू रौतेली पुरस्कार
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आयरन लेडी पुरस्कार
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टीचर ऑफ द ईयर पुरस्कार
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के तहत उन्हें प्रमाण पत्र, 50,000 रुपये का नकद इनाम और मेडल प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और शिक्षक
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को एक ग्लोबल नॉलेज सुपरपावर बनाना है। इसके लिए विश्व के श्रेष्ठ शिक्षकों की पहचान आवश्यक है।