
तापमान में लगातार बढ़ोतरी और वनाग्नि की आशंका को देखते हुए वन विभाग सतर्क हो गया है। विभाग ने आगजनी जैसी घटनाओं की त्वरित सूचना देने के लिए 1926 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। साथ ही, सभी वन कर्मचारियों को ‘फॉरेस्ट फायर’ मोबाइल ऐप में पंजीकृत किया जा रहा है।
वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए विभाग ने हर जिले में ‘ओण दिवस’ मनाने का निर्णय भी लिया है, ताकि संवेदनशील क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाई जा सके। यह जानकारी पीसीसीएफ डॉ. धनंजय मोहन ने शनिवार को वन मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
उन्होंने बताया कि इस साल जनवरी से मार्च तक, पिछले तीन वर्षों की तुलना में सबसे कम फायर अलर्ट भारत वन सर्वेक्षण (FSI) ने जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश में 40 वर्षों बाद फायर लाइनें बनाई जा रही हैं, जिनमें अब तक लगभग 400 किलोमीटर फायर लाइन तैयार हो चुकी है। शेष कार्य अगले दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा।
एपीसीसीएफ (वनाग्नि) निशांत वर्मा ने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण में सहायता के लिए चीड़ पिरुल एकत्रीकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है और स्थानीय लोगों को इससे आजीविका से जोड़ने के उद्देश्य से पिरुल की दर 3 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति किलो कर दी गई है। इसके अलावा, पिरुल से ब्रिकेट बनाने के लिए वर्तमान में चालू पांच यूनिटों के अलावा सात नई यूनिटें स्थापित की जा रही हैं