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गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में 40% सीट कटौती पर छात्रों का फूटा गुस्सा, कुलपति कार्यालय का घेराव

श्रीनगर गढ़वाल, 2 सितंबर – हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में बीएससी और बीए पाठ्यक्रमों की सीटों में की गई 40 प्रतिशत कटौती को लेकर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। साथ ही छात्रावासों में मूलभूत सुविधाओं की कमी और परिवहन सेवाओं के अभाव को लेकर भी छात्रों ने कुलपति कार्यालय का घेराव किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की।

सोमवार से जारी धरना, मंगलवार को उग्र रूप

धरने की अगुवाई कर रहे हैं पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अंकित रावत, जय हो छात्र संगठन के जिलाध्यक्ष आयुष मियां, और छात्र नेता बिरेन्द्र सिंह नेगी। सोमवार से विश्वविद्यालय परिसर में चल रहे धरने ने मंगलवार को उग्र रूप ले लिया, जब छात्रों ने कुलपति सचिवालय का घेराव कर दिया।

छात्रों ने कुलपति से प्रत्यक्ष वार्ता की मांग की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें सचिवालय में प्रवेश नहीं करने दिया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया। छात्र वहीं धरने पर बैठ गए और घोषणा की कि जब तक कुलपति से सीधी बातचीत नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।

छात्रों ने कुलपति को सौंपा 5 सूत्रीय ज्ञापन

छात्र प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति प्रो. प्रकाश सिंह को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें विश्वविद्यालय से संबंधित पांच मुख्य समस्याओं के समाधान की मांग की गई:

बीए और बीएससी में सीट कटौती वापस ली जाए

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 40% तक सीटों में की गई कटौती से बड़ी संख्या में योग्य छात्र-छात्राएं दाखिले से वंचित हो गए हैं। छात्रों ने मांग की है कि पिछली व्यवस्था बहाल की जाए, ताकि शिक्षा के अवसर से किसी को वंचित न रहना पड़े।

चौरास परिसर में ई-रिक्शा सेवा शुरू की जाए

छात्रों ने आरोप लगाया कि वर्तमान में उपलब्ध ई-रिक्शा की संख्या पर्याप्त नहीं है। ज्ञापन में मांग की गई है कि विश्वविद्यालय कम से कम 10 नए ई-रिक्शा की व्यवस्था करे, ताकि छात्रों को समय से कक्षाओं में पहुंचने में सुविधा हो।

श्रीकोट से विश्वविद्यालय तक बस सेवा बहाल की जाए

पूर्व में विश्वविद्यालय द्वारा श्रीकोट क्षेत्र से बस सेवा चलाई जाती थी, जिसे कुछ वर्षों से बंद कर दिया गया है। छात्रों ने इस सेवा को दोबारा शुरू करने की मांग की है ताकि दूर-दराज़ से आने वाले छात्रों को परेशानी न हो।

महिला स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार

छात्र नेता पुनीत अग्रवाल ने चौरास परिसर के छात्रावासों में महिला डॉक्टर और फार्मासिस्ट की नियुक्ति की मांग की। साथ ही उन्होंने महिला सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया, जिससे छात्राओं को सुरक्षित माहौल मिल सके।

छात्र हितों की अनदेखी बंद की जाए

छात्रों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह लगातार छात्र हितों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।

क्या कहता है छात्र संगठन?

छात्र नेताओं का कहना है:

“यह सिर्फ सीटों की कटौती का मामला नहीं है, बल्कि छात्रों की बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी का नतीजा है। हम वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन यदि विश्वविद्यालय ने चुप्पी साधे रखी, तो हम पीछे नहीं हटेंगे।”

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। छात्रों का कहना है कि अगर वार्ता नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन जिला स्तर तक फैल सकता है

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों का यह आंदोलन शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपेक्षा के खिलाफ आवाज़ है। सवाल उठता है कि एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसी समस्याएं क्यों बार-बार सामने आती हैं, और कब तक छात्र वर्ग को इन मुद्दों के लिए आंदोलन करना पड़ेगा?

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