उत्तराखंड

मानव अधिकार संरक्षण दिवस पर 13 संस्थाओं को किया सम्मानित

मानव अधिकार संरक्षण दिवस पर 13 संस्थाओं को किया सम्मानित

देहरादून 11 दिसंबर, मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के तत्वावधान में राजपुर रोड स्थित एक होटल में मानव अधिकार संरक्षण दिवस मनाया गया। कार्यक्रम एक विचार गोष्ठी “नए बीएस कानून और मानवाधिकारों का संरक्षण” विषय के साथ प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य कर रही 13 संस्थाओं को सम्मानित किया गया।

राज्य हमेशा मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है – एडीजी अभिनव कुमार

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मानव अधिकार संरक्षण के लिए कार्यरत संस्थाओं को संरक्षण दिए जाने का एक्ट में है प्रावधान: न्यायमूर्ति राजेश टंडन

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट दैनिक लोक अदालत के पीठासीन सदस्य न्यायमूर्ति डॉ राजेश टंडन ने कहा कि नए बीएस कानून में बहुत सारे संशोधन ऐसे हुए हैं जो मानवाधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार संरक्षण कानून – 1993 में मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं के संरक्षण एवं प्रोत्साहन का प्रावधान है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कारागार, सुरक्षा एवं अभिसूचना) श्री अभिनव कुमार, आईपीएस ने कहा कि राज्य हमेशा से मानव अधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध रहा है। मानव अधिकार संरक्षण कानून 1993 में लागू हुआ और मैं 1996 में मैंने नौकरी ज्वाइन की और इसी वर्ष जनवरी में मेरी सेवा को 30 वर्ष हो जाएंगे। मैं इन 30 वर्षों में समय के साथ-साथ मानव अधिकार संरक्षण कानून को धरातल पर क्रियान्वित होते हुए देखा है। 30 वर्ष पूर्व पूरे देश में कस्टोडियन टॉर्चर के मामले हजारों में होते थे लेकिन मानव अधिकार संरक्षण एक्ट के बेहतर क्रियान्वयन, न्यायपालिका , मानवाधिकार आयोग एवं मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए बनी अन्य संस्थाओं की सक्रियता और प्रशासनिक और पुलिस तंत्र की सक्रियता के बाद अब यह घटकर लगभग ढाई सौ के आसपास वह भी छोटी-मोटी टॉर्चर की घटनाएं अभी भी रिकॉर्ड होती है। लेकिन यह प्रयास तब तक जारी रहेगा तब तक यह शून्य हो जाए। इसी प्रकार दहेज प्रथा उन्मूलन कानून आज से तकरीबन 60 वर्ष पूर्व बना था और धीरे-धीरे समय के साथ समाज में जागरूकता आई और दहेज के कारण होने वाले टॉर्चर और हत्याओं में बहुत तेजी के साथ कमी आई। मेरा कहना यह है कि जब कानून बनते हैं वह पहला कदम होता है। उनका धरातल पर क्रियान्वयन होना और समाज में जागरूकता यह दूसरा उसका कदम होता है। इसमें हमारे समाज और समाज के बीच में कार्य करने वाली संस्थाएं, सरकार द्वारा स्थापित आयोग, हमारे प्रशासनिक एवं पुलिस तंत्र बहुत कारक सिद्ध हुआ हैं।

 

इस अवसर पर मानव अधिकारों के संरक्षण संवर्धन एवं मानव जीवन को ऊंचा उठने के लिए कार्य करने वाली 13 संस्थाओं को सम्मानित किया गया जिनमें प्रमुखता उदयन केयर ट्रस्ट, प्रथम स्वास्थ्य फाउंडेशन,श्री जय राम मेमोरियल शिक्षा एवं नारी उत्थान समिति, श्री महाकाल सेवा समिति, समर्पण सेवा समिति, जानकी देवी एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी, भारतीय ग्रामोत्थान संस्थान, भारतीय भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ, प्रोग्रेसिव कम्युनिटी, काजमी मानव सेवा ट्रस्ट, एमजेएफ लायन चरणजीत सोई को “नौवें मानव अधिकार संरक्षण रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डॉ प्रेम कश्यप द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ कुंवर राज अस्थाना द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पदमश्री डॉ आरके जैन, श्री अशोक वर्मा, श्री अनिल वर्मा, श्री राजकुमार पुरोहित, श्री आर. पी. गुप्ता, डॉ अजय सक्सेना, डॉ सुनील अग्रवाल, श्री राजीव वर्मा, एड. पीयूष अग्रवाल, श्री एसपी सिंह, श्री अकबर सिद्दीकी, श्री संजय जोशी, श्री विमल डबराल, श्री संजीव शर्मा, श्री राजीव थपलियाल, श्री वीडी शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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