उत्तराखंडदेहरादून

उत्तराखंड में बिजली नहीं होगी महंगी, यूपीसीएल की ₹674 करोड़ की याचिका खारिज, आयोग ने ठहराया निराधार

देहरादून:

प्रदेशवासियों के लिए राहत की खबर है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) ने उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) की ₹674.77 करोड़ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे बिजली दरों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं होगी। आयोग ने स्पष्ट किया कि याचिका में प्रस्तुत कारण न तो तार्किक हैं और न ही वैध पुनर्विचार के आधार पर खरे उतरते हैं।

 क्या थी यूपीसीएल की याचिका?

यूपीसीएल ने 11 अप्रैल 2025 को जारी टैरिफ आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसमें निगम ने 674.77 करोड़ रुपये के कैरिंग कॉस्ट की मांग की थी। यूपीसीएल का तर्क था कि ये राशि विभिन्न खर्चों की भरपाई के लिए जरूरी है, जिसमें 129.09 करोड़ का डिले पेमेंट सरचार्ज (DPS) भी शामिल था।

 आयोग का फैसला:

  • आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य (विधि) अनुराग शर्मा की पीठ ने साफ किया कि:

    • सरकार हो या उपभोक्ता, सभी के लिए नियम समान हैं।

    • डिले पेमेंट सरचार्ज (DPS) को टैरिफ से बाहर रखने का कोई आधार नहीं है।

    • आयोग ने कहा, “DPS को टैरिफ का हिस्सा माना जाएगा, इससे टैरिफ कम भी होता है।”

    • यूपीसीएल की याचिका में कोई नया तथ्य, गलती या पुनर्विचार का वैध आधार नहीं है।

 लाइन लॉस बना चुनौती

आयोग ने यूपीसीएल को चेताया कि लाइन लॉस में भी सुधार जरूरी है। यूपीसीएल ने आगामी तीन वर्षों के लिए जो लक्ष्य प्रस्तुत किए थे, आयोग ने उनमें कटौती की:

वर्ष यूपीसीएल का दावा आयोग की मंजूरी
2025-26 13.50% 12.75%
2026-27 13.21% 12.25%
2027-28 12.95% 11.75%

 पिछले वर्षों में बढ़ता घाटा

आयोग ने पिछली रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि यूपीसीएल लगातार लक्ष्य से अधिक नुकसान झेल रहा है।

वर्ष लक्ष्य (प्रतिशत) वास्तविक नुकसान
2021-22 13.75% 14.70%
2022-23 13.50% 16.39%
2023-24 13.25% 15.63%

 सबसे अधिक नुकसान वाले क्षेत्र

आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023-24 में कुछ शहरों में बिजली नुकसान की दर बेहद चिंताजनक रही:

शहर लाइन लॉस (%)
लंढौरा 69.40%
जोशीमठ 53.92%
खटीमा 53.00%
मंगलौर 47.62%
गदरपुर 30.58%
सितारगंज 27.25%
जसपुर 27.00%
लक्सर 27.00%

 जनसुनवाई में हुआ विरोध

गौरतलब है कि आयोग ने इस याचिका पर 5 अगस्त को जनसुनवाई आयोजित की थी। इस दौरान अनेक हितधारकों ने यूपीसीएल की मांग का विरोध किया था, जिसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने याचिका को निरस्त कर दिया।

 निष्कर्ष:

इस फैसले से जहां प्रदेशवासियों को बड़ी राहत मिली है, वहीं यूपीसीएल को अपनी कार्यप्रणाली और बिजली वितरण व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना होगा। आयोग ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में किसी प्रकार की राहत पाने के लिए यूपीसीएल को लाइन लॉस कम करने और घाटा रोकने के ठोस प्रयास करने होंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button