तराई पूर्वी वन प्रभाग ने वन माफियाओं पर कसा शिकंजा,अवैध लकड़ी से भरी पिकअप जब्त

तराई पूर्वी वन प्रभाग ने वन माफियाओं पर कसा शिकंजा।
शांतिपुरी में अवैध लकड़ी से भरी पिकअप की जब्त।
शांतिपुरी नंबर 3 में नाँप भूमि से स्वीकृत वृक्षों के सापेक्ष कहीं अधिक वृक्षों के काटे जाने का मामला आया प्रकाश में।
लालकुआं। रिपोर्टर गौरव गुप्ता
तराई पूर्वी वन विभाग के सुरक्षा दस्ते ने बेशकीमती लकड़ी से लदे वाहन को पकड़ा है, टीम की कार्रवाई के दौरान वाहन चालक भागने में कामयाब रहा जिसकी तलाश की जा रही है,वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
गौरतलब है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलो में वर्तमान में अवैध रूप से लकड़ी तस्करी का कारोबार खूब फल-फूल रहा है, गुरुवार को वन विभाग सुरक्षा दस्ते ने दो अलग-अलग मामलों में बड़ी कार्रवाई करते हुए लकड़ी तस्करी के मामले में जहां एक वाहन को पकड़कर वाहन से बेशकीमती लकड़ी की तस्करी को उजागर किया है वहीं शांतिपुर नंबर 3 में नाँप भूमि से स्वीकृत 8 सागौन के वृक्षों के सापेक्ष 21 वृक्षों के काटे जाने के मामले पर कार्यवाही करते हुए जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए हैं।
जानकारी के अनुसार प्रभागीय वनाधिकारी एवं उप प्रभागीय वनाधिकारी के निर्देशों के अनुपालन में गुरुवार को मुखबिर की खास द्वारा सूचना पर सुरक्षा दस्ते ने शांतिपुरी नंबर 3 की ओर से आ रही पिकअप संख्या यूके 18/सीए 1774 को रोकने का प्रयास किया तो टीम को देख वाहन चालक वाहन को मौके में छोड़ कर फरार हो गया, वाहन की तलाशी लेने पर वाहन में मिश्रित कोकाट लट्ठा लादा पाया गया वाहन मै लदे प्रकाष्ठ से संबंधित कोई भी प्रपत्र वाहन में नहीं पाए जाने पर वाहन को सुरक्षित डॉली रेंज परिसर खड़ा कर दिया गया । इधर दूसरे मामले में ग़श्ती दल ने शांतिपुर नंबर 3 में नाँप भूमि में स्वीकृत 8 सागौन के वृक्षों के सापेक्ष 21 सागौन के वृक्षों के अवैध रूप से काटे जाने का मामला भी उजागर किया है, इस मामले में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मामला विभागीय मिलीभगत से चल रहा था,वन सुरक्षा दल द्वार दोनों ही प्रकरणों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर अग्रिम कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।
वन सुरक्षा दल की टीम में प्रभारी नवीन रैकवाल,वन दारोगा निर्मल रावत दिनेश पंत और वाहन चालक श्याम सिंह राणा शामिल रहे। दोनों ही प्रकरणों में शामिल लोगों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।